इजरायल
और फिलिस्तीन का संघर्ष काफी वर्षों से चला रहे हैं, यह संघर्ष सीमाओं संप्रभुता और
इसमें शामिल लोगों की सुरक्षा और अधिकार जैसे मुद्दों से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच
में एक लंबे समय से चलने वाले संघर्ष को दर्शाता है। इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष की
जड़ें काफी गहरी और विवाद पूर्ण है। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच में होने वाले संघर्षों
की उत्पत्ति 19 वी शताब्दी के अंत और बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में मानी जाती है। अगर
इजरायल और फिलिस्तीन के संघर्षों के बीच में ऐतिहासिक घटनाओं को जोड़कर देखा जाए तो
यह धीरे-धीरे एक श्रृंखला के रूप में उभर कर सामने आती है, जो काफी संघर्ष और विवादों
से जुड़ा हुआ दिखता है।
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच क्या संघर्ष है?
ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि
19वीं
शताब्दी के अंत में यहूदियों ने अपनी मातृभूमि की स्थापना करने के लिए ज़ायोनी आंदोलन
के उद्देश्य के हिस्से के रूप में फिलिस्तीन जो उस समय ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा माना
जाता था, धीरे-धीरे इस क्षेत्र में यहूदियों का प्रवास 19वीं सदी के अंत तक बढ़ते गया,
जिससे इस क्षेत्र में यहूदियों की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई
बीसवीं
सदी की शुरुआत प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से लेकर 1917 के बीच ब्रिटेन फ्रांस और अमेरिका
इस प्रथम विश्व युद्ध में जीत हासिल की और राष्ट्र संघ ने ब्रिटेन को इस क्षेत्र में
शासन करने का अधिकार दे दिया। धीरे-धीरे ब्रिटेन ने अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा
करने के लिए यहूदियों और अरब लोगो के बीच विवाद की जड़ें गहरी कर दी गई। जो आगे चलकर
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच में गहरे विवाद का कारण बना और आज तक इसे सुलझाना आसान
नहीं है।
संयुक्त
राष्ट्र विभाजन योजना 1947
द्वितीय
विश्वयुद्ध की समाप्ति और प्रलय के बाद संयुक्त राष्ट्र ने एक विभाजन योजना का प्रस्ताव
रखा जो यहूदियों और अरब लोगों के बीच में प्रस्ताव रखा और फिलिस्तीन के भीतर अलग यहूदियों
और अरब के लिए राज्यों का निर्माण कर दिया गया। इस विभाजन योजना को यहूदियों नेता ने
नेताओं ने स्वागत किया अर्थात इस विभाजन को
उन्होंने स्वीकार कर लिया, लेकिन अरब नेताओं ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसके
परिणाम स्वरूप 1948 में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई।
इजराइल
का निर्माण 1948
फिलिपींस
( अरब ) और इसराइल के मध्य युद्ध होने से अंतिम परिणाम के रूप में इजरायल ने 1948 में
अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। जिसे अब पड़ोसी देश के साथ लगातार युद्ध बढ़ गया। जिसके
परिणाम स्वरुप 1949 में प्रथम युद्ध विराम की स्थापना हुई, जिसमें इजरायल को संयुक्त
राष्ट्र योजना के तहत शुरू में आबंटित क्षेत्र से अधिक क्षेत्र दिया गया। जो इस विवाद
को और बढ़ाने का कार्य किया।
1967
में 6 दिवसीय युद्ध
1967
में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच हुए युद्ध को छठे युद्ध के नाम से जाना जाता है। इजराइल
द्वारा अरब राज्यों के खिलाफ एक पूर्वव्यापी हमला शुरू किया गया था। 6 दिन तक चले इस
युद्ध में इजराइल ने गाजा पट्टी, वेस्टर्न बैंक, गोल्डन हाइट्स और सनाई प्रायद्वीप
पर कब्ज़ा कर लिया। इन इलाकों पर कब्जे के कारण फिलिस्तीन और इजराइल के बीच संघर्ष
तेज हो गया।
व्यवसाय
और बस्तियों का निर्माण
गाजा
पट्टी और वेस्ट बैंक के साथ-साथ गोल्डन हाई इन क्षेत्रो में इजराइल ने अपना कब्जा जमाया
और धीरे-धीरे इन इलाकों में इजराइली बस्तियां बसा दीं, जो फिलिस्तीन और इजराइल के बीच
विवाद का एक बड़ा मुद्दा है। फ़िलिस्तीन वेस्टर्न बैंक और गाजा पट्टी को एक स्वतंत्र
राज्य बनाना चाहते थे, जिसकी पिछली राजधानी येरुशलम थी, लेकिन यहां यह संभव नहीं हो
पाया। येरुशलम फ़िलिस्तीन की स्वतंत्र राजधानी नहीं बन सका, जिसके कारण इज़रायल और
फ़िलिस्तीन के बीच विवाद दिन-ब-दिन बढ़ता गया।
ओस्लो
समझौते और शांति प्रक्रिया
1990
के दशक में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच ओस्लो समझौते शांति प्रक्रिया के लिए किया गया
था, जिसके परिणाम स्वरूप वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी के कुछ हिस्सों को फिलिस्तीन के
प्राधिकरण निर्माण हेतु दे दिया गया था, लेकिन यह शांति प्रक्रिया ज्यादा समय तक नहीं
चल पाई और कुछ चुनौतियों का सामना करते हुए पुनः इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध
शुरू हो गया।
हिंसा
और विवाद
इजराइल
फिलिस्तीन के युद्ध में अनेक हिंसा और विवाद गहराता गया, जिनमें पहला इंतिफादा
1987 से 1993 के बीच में हुआ, दूसरा इंतिफादा 2000 से 2005 के बीच में हुआ। गाजा पट्टी
में समय-समय पर संघर्ष की स्थिति बनती रहती है, जैसे कि 2008-0 9 में युद्ध की स्थिति
उत्पन्न हुई थी, फिर पुनः 2012 में युद्ध की स्थिति फिर उत्पन्न हुई और 2014 में भी
युद्ध की स्थिति बनी। इजरायल और फिलीस्तीन
के बीच ऐसी युद्ध की स्थिति अनेक बार बनती रहती है, जो वहां के आम जनजीवन को नकारात्मक
रूप से प्रभावित करती है।
समकालीन
मुद्दे
समकालीन
मुद्दे के तौर पर अगर देखा जाए तो इजरायल और फिलीस्तीन के बीच में अनेक युद्ध सीमा
सुरक्षा और अधिकार के लिए लड़ाई की स्थिति बनती रहती है। शरणार्थियों और यरूशलेम की
स्थिति इन दो देशों के मध्य शांति वार्ता को विफल करने का कारण बन जाता है। और अनेक
बार लड़ाई की स्थिति बन जाती है, वर्तमान परिदृश्य 2023 में हमास के द्वारा इजराइल
पर 5000 ड्रोन रॉकेट दागे गए, जो इजरायल और हमास के बीच फिर से युद्ध को शुरू करने
का कारण बन गया। जो एक भयानक स्थिति को पैदा कर रहा है, इस युद्ध में इजरायल के साथ
अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस जर्मनी जैसे विकसित देश खुलकर इजराइल का सपोर्ट कर रहे हैं।
वही हमास को सपोर्ट करने के लिए लेबनान मिस तुर्की सऊदी अरब जैसे अनेक अरब देश फिलिस्तीन
का सपोर्ट कर रहे हैं। 2023 की समकालीन स्थिति को देखते हुए इजरायल और फिलीस्तीन के
बीच पूरे विश्व को दो गुटों में बांटने पर मजबूर हो गया है ऐसी स्थिति में पूरा विश्व
दो गुटों में बैठकर अनेक तबाही मचा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय
भागीदारी
इजराइल
और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है. इसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय
मध्यस्थता और समाधान के लिए कई प्रयास किए गए हैं, जिसमें अलग-अलग स्थितियों में अलग-अलग
सफलताएं हासिल हुई हैं, लेकिन अभी भी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष बना हुआ है।
हम लड़ाई को पूरी तरह रोकने की स्थिति तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. भविष्य में ऐसी स्थिति
उत्पन्न हो सकती है जहां इजरायल और फिलिस्तीन के बीच एक बेहतर समझौता हो सके ताकि दोनों
देश शांतिपूर्वक विकास कर सकें। यही अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का लक्ष्य है।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष एक बहुत ही जटिल और भावनात्मक मुद्दा है जिसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई आसान समाधान नहीं दिखता है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए, दोनों देशों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के लिए शांतिपूर्ण समाधान करके कुछ आवश्यक समाधान निकाला जाना चाहिए। यह कहा जा सकता है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष के कारण अधिकतर आम लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि युद्ध अक्सर किसी भी देश के लिए हिंसा और तनाव पैदा करता है, जिसके अंततः हानिकारक परिणाम होते हैं।
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