ग्लोबल वार्मिंग का कृषि पर 10 प्रभाव | Effect Of Global Warming On Agriculture

कृषि पर ग्लोबल वार्मिंग का महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है Effect Of Global Warming On Agriculture ग्लोबल वार्मिंग फसलों की पैदावार खाद्य उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को किसी न किसी रूप में प्रभावित करती है यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का हो सकता है जिसका प्रभाव कृषि पर पड़ता है। 

Effect Of Global Warming On Agriculture
Effect Of Global Warming On Agriculture


वैश्विक ताप का कृषि पर प्रभाव | Global warming ka krishi par prabhav ki vyakhya kijiye


1. ग्लोबल वार्मिंग से जलवायु परिवर्तन

2. ग्लोबल वार्मिंग से फसल उत्पादकता और उपज में प्रभाव

3. ग्लोबल वार्मिंग से कीट और रोगों में वृद्धि

4. ग्लोबल वार्मिंग से पानी की उपलब्धता और सिंचाई में चुनौतियां

5. ग्लोबल वार्मिंग से खाद्य सुरक्षा और खाद्य के मूल्य में अस्थिरता

6. ग्लोबल वार्मिंग से पशुधन और पशुपालन पर प्रभाव

7. ग्लोबल वार्मिंग से गरीबी और बेरोजगारी

8. ग्लोबल वार्मिंग से पोषण स्तर में कमी

9. ग्लोबल वार्मिंग से कृषि अर्थव्यवस्था में प्रभाव

10. ग्लोबल वार्मिंग से फसल उपयोगिता और भौगोलिक सीमा में बदलाव

 

 

1. ग्लोबल वार्मिंग से जलवायु परिवर्तन

 

आज आधुनिकीकरण और शहरीकरण के कारण ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रण क्षमता दिनों दिन वायुमंडल में बढ़ती जा रही है, जिससे वायुमंडल की तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है, इस तापमान की वृद्धि के कारण जलवायु के पैटर्न में लगातार परिवर्तन होते जा रहे हैं। जलवायु के पैटर्न में परिवर्तन होने से कृषि कार्यों में अवरोध उत्पन्न होता है। समय पर कृषि कार्य करना मुश्किल हो जाता है। जैसे पारंपरिक रोपाई करना फसलों की कटाई करना फसलों के चक्र में बदलाव होना यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। इससे कृषि उत्पादन नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। जो फसलों की पैदावार और गुणवत्ता को कम कर देती है।

 

 

2. ग्लोबल वार्मिंग से फसल उत्पादकता और उपज में प्रभाव

 

जलवायु परिवर्तन कभी-कभी फसल उत्पादकता और उपज के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव डाल सकते हैं ध्रुवी क्षेत्रों में तापमान बढ़ने से उस क्षेत्र की भूमि में फसल उत्पादन की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती है क्योंकि वहां साल भर बर्फ जमी होने के कारण फसल उत्पादन करना मुश्किल होता है लेकिन तापमान बढ़ने से वहां की बर्फ पिघल कर कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित हो जाती है जहां पर फसल उत्पादन किया जा सकता है और यह एक सकारात्मक लाभ को दर्शाता है लेकिन उष्णकटिबंधीय क्षेत्र एवं सब ट्रॉपिकल क्षेत्रों में तापमान अधिक बढ़ने से फसलों के   उत्पादकता और उपज में नकारात्मक में प्रभाव पड़ने लगते हैं इन क्षेत्रों में गर्मियों के कारण फसल झुलस जाते हैं पानी की कमी हो जाती हैं, जिससे फसलों को अधिक चुनौतियां का सामना करना पड़ता है।  इन क्षेत्रों में सूखा बढ़ने लगता है मौसम के परिवर्तन के कारण अकारण समय में ही कभी बारिश हो जाती है कभी सूखाग्रस्त हो जाता है जो फसल चक्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जिससे फसलों के उत्पादकता, उपज और गुणवत्ता में कमी आती है इन क्षेत्रों के लिए तापमान वृद्धि हानिकारक सिद्ध होता है।

 

 

3. ग्लोबल वार्मिंग से कीट और रोगों में वृद्धि

 

ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि होती जाती हैं इससे फसलों में लगने वाले कीड़े मकोड़े की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो जाती है जो गर्म ताप में अपनी जनसंख्या को बढ़ाने में सक्षम होते हैं इन कीड़े मकोड़े की जनसंख्या में वृद्धि से फसलों को अत्यधिक मात्रा में क्षति पहुंचती हैं जिससे फसल की उत्पादकता उपज और गुणवत्ता में नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगते हैं पौधों में लगने वाली बीमारी के रोकथाम के लिए अनेक कीटनाशक और अन्य रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो आर्थिक गतिविधियों को नकारत्मक रूप से प्रभावित करती हैं साथ ही साथ फसल की गुणवत्ता में गिरावट उत्पन्न हो जाती हैं वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन होने से पौधों में बीमारियां तेज गति से प्रभावित होती हैं जो कृषि फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

 

 

4. ग्लोबल वार्मिंग से पानी की उपलब्धता और सिंचाई में चुनौतियां

 

ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से जलवायु परिवर्तन बहुत तेज गति से होता है इससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होता है और यह तापमान जल का वाष्पीकरण बहुत तेज गति से करता है जिससे पानी की उपलब्धता में कमी हो जाती है साथ ही साथ ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से जलवायु परिवर्तन होता है जो मौसम के चक्रण को परिवर्तित कर देता है समय पर वर्षा ना होने के कारण सूखे की स्थिति बढ़ जाती है जिससे फसलों को समय पर सिंचाई की उपलब्धता नहीं हो पाती है और फसलों को पानी के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ता है जिससे फसलों के विकास उत्पादकता और उत्पादन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इससे कृषि पद्धतियों को पानी की उपलब्धता और सिंचाई की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है फसल पूर्णता सिंचाई प्रणालियों पर निर्भर हो जाती है जो कृषि की पैदावार उत्पादन गुणवत्ता इत्यादि को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

 

 

5. ग्लोबल वार्मिंग से खाद्य सुरक्षा और खाद्य के मूल्य में अस्थिरता

 

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के जलवायु के तापमान में वृद्धि होता है, इससे फसल के उत्पादकता उत्पादन और गुणवत्ता में नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ता है। जो खाद्य सुरक्षा को संयुक्त रूप से प्रभावित करती हैं। खाद्य की कम उपलब्धता के कारण फसलों की कीमत मार्केट में बढ़ जाती है। कीमतों में वृद्धि होने से भोजन की कमी के साथ-साथ खाद्य पदार्थों की मांग में बढ़ने लगती है। लेकिन खाद्य पदर्थो की उत्पादकता उत्पादन और गुणवत्ता में कमी के कारण खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ फसलों के मूल्य में भी अस्थिरता उत्पन्न कर देती है। जो ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।

 

 

6. ग्लोबल वार्मिंग से पशुधन और पशुपालन पर प्रभाव

 

कृषि के अंतर्गत पशुधन एवं पशुपालन आता है ग्लोबल वार्मिंग के कारण फसलों की कम पैदावार फसलों के उत्पादन में बदलाव और खाद्य उत्पादन के कमी के कारण पशुओं को भी ठीक से भोजन प्राप्त नहीं हो पाता है ग्लोबल वार्मिंग के तापमान के कारण पशुओं को भी अधिक गर्मियों का सामना करना पड़ता है जिससे पशुओं अधिक तनाव ग्रस्त हो जाती हैं पशुओं को चारा उपलब्ध नहीं हो पाती है जिससे पशुओं के पोषण स्तर में कमी आती है और साथ ही साथ पशुओं को अनेक बीमारियों की समभावना बढ़ जाती है। इसके पीछे जिम्मेदार ग्लोबल वार्मिंग के तापमान में वृद्धि से है ग्लोबल वार्मिंग के तापमान में वृद्धि से पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता और गुणवत्ता में नकारत्मक परिवर्तन होता है। ग्लोबल वार्मिंग परिवर्तन होने से पशुधन और पशुपालन नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।

 

 

7. ग्लोबल वार्मिंग से गरीबी और बेरोजगारी

 

ग्लोबल वार्मिंग से जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन होता है जो कृषि उत्पादन में को प्रभावित करती है कृषि क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने वाले मजदूरों को पर्याप्त मात्रा मजदूरी प्राप्त नहीं हो पाती है जिससे मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं इससे मजदूरों को आर्थिक तंगी यों का सामना करना पड़ता है साथ ही साथ ग्लोबल वार्मिंग से फसलों की पैदावार में कमी के साथ-साथ गुणवत्ता में भी कमी हो जाती है जो मार्केट में फसलों के अत्यधिक मांग को बढ़ा देता है और यह मूल्यों को अस्थित करता है जिससे मजदूर वर्ग पर्याप्त मात्रा में भोजन को खरीदने में असमर्थ होते हैं  जिससे मजदूरों को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है इससे गरीबी की बढ़ने की संभावनाएं बढ़ जाती है ग्लोबल वार्मिंग गरीबी और बेरोजगारी को नकारत्मक रूप से प्रभावित करता है।

 

 

8. ग्लोबल वार्मिंग से पोषण स्तर में कमी

 

ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन होता है इस जलवायु परिवर्तन से तापमान में वृद्धि होती है जब तापमान में वृद्धि होती है तो कीड़े मकोड़े फसलों की पैदावार साथ  साथ फसलों को अत्यधिक मात्रा में क्षति पहुंचाते हैं इन कीड़े मकोड़े के प्रकोप को रोकने के लिए किसानों द्वारा अनेक कीटनाशक और रसायनों का उपयोग किया जाता है जो फसलों के खाद्य श्रेणी में अनेक कीटनाशकों और रसायनों की सांद्रण में वृद्धि करती है। जो नकारात्मक रूप से खाद्य श्रेणी के गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इससे पोषण स्तर में कमी होती है, खाद्य श्रेणी की गुणवत्ता में कमी होती है, जो पोषण स्तर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

 

 

9. ग्लोबल वार्मिंग से कृषि अर्थव्यवस्था में प्रभाव

 

ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से कृषि अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है कृषि अर्थव्यवस्था में यहां खाद्य पदार्थों के उत्पादन उत्पादकता और गुणवत्ता में कमी से मार्केट में खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ जाती है जिससे मूल्यों की अस्थिरता प्रभावित होती है साथ ही साथ कृषि क्षेत्र में लगे हुए मजदूरों को पर्याप्त मात्रा में रोजगार प्राप्त नहीं हो पाते हैं। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से अनेक कीड़े मकोड़े की जनसंख्या में वृद्धि होती है जो फसलों को अत्यधिक मात्रा में क्षति पहुंचाती है जिससे कीटनाशकों और रसायनों की मांग बढ़ जाती है इससे किसानों की आय नकारत्मक रूप से प्रभावित होता है और किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ते जाता है। ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि से फसलों के चक्रण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है क्योंकि तापमान विधि से किसी क्षेत्र में सूखाग्रस्त तो कहीं पर अत्यधिक बारिश के कारण बाढ़ आ जाता है जो फसलों के चक्रण और पैदावार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और इससे खाद्य सुरक्षा की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं।

 

 

10. ग्लोबल वार्मिंग से फसल उपयोगिता और भौगोलिक सीमा में बदलाव

 

ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि होती है इसके कारण भौगोलिक सीमाओं को सकारात्मक और नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं कुछ क्षेत्रों में जहां पर कृषि नहीं होती है तापमान वृद्धि से खासकर ध्रुव क्षेत्रों में फसलों का उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है। लेकिन उष्ष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में तापमान के वृद्धि से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है कृषि के भौगोलिक इन कृषि क्षेत्रों में सूखा बाढ़ सिंचाई की समस्या फसल में तनाव फसलों के उत्पादन में कमी गुणवत्ता में कमी कीटो का प्रकोप इत्यादि देखने को मिलता है जो ग्लोबल वार्मिंग के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों को दर्शाता है।

 

निष्कर्ष

 

ग्लोबल वार्मिंग अधिकतर कृषि पर नकारात्मक प्रभाव डालता है यह कृषि प्रणालियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जैसे कृषि के उत्पादन और उत्पादकता के साथ-साथ गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है इसलिए ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए बेहतर कृषि प्रणाली को अपनाना जरूरी है साथ ही साथ कृषि के लिए बीजों की गुणवत्ता और वैज्ञानिक पद्धतियों के माध्यम से बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि ग्लोबल वार्मिंग से खाद्य उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को संरक्षित किया जा सके।


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