भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां कौन कौन से हैं || Schedules of Indian Constitution

भारतीय संविधान का इतिहास || History of Indian Constitution

 

भारतीय संविधान की अनुसूची

भारत राष्ट्र के लिए एक संविधान का निर्माण किया गया जिससे भारत का संविधान कहा जाता है। यह भारत का संविधान सर्वोच्च विधान कहलाता है। आजादी के समय संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान को पारित किया गया था, लेकिन 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान को लागू किया गया और तब से भारत के  संविधान के अनुसार भारत में विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका और अन्य नियम कानून लागू किए जाते हैं।  26 जनवरी 1950 के दिन भारत में संविधान लागू हुआ था, इसी कारण प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान को वर्तमान में 470 अनुच्छेद 25 भाग और 12 अनुसूचियों के रूप में विभाजित किया गया है। जबकि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था, तब उसने भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद 22 भाग और 8 अनुसूचियों शामिल था।  लेकिन समय के साथ साथ जरूरत अनुसार भारतीय संविधान में सांसद के द्वारा समय-समय पर कुछ अनुच्छेद कुछ भागों और अनुसूचियों को जोड़ा गया। जिसे भारत राष्ट्र और मजबूत और समृद्ध हो सके।

 

भारतीय संविधान में कितनी अनुसूची है || 12 schedules of indian constitution

 

26 जनवरी 1950 में संविधान लागू होने के समय 8 अनुसूचियां थी लेकिन वर्तमान समय में इन सूचियों की संख्या बढ़कर 12 हो चुकी है।  इस अनुसूचियों को संविधान के प्रथम संशोधन 1952 के तहत भूमि सुधार के रूप में 9 अनुसूची को जोड़ा गया था।  52 संविधान संशोधन के तहत संविधान में 1985 में दल बदल कानून के रूप में 10 अनुसूची को जोड़ा गया था। संविधान के 73वें संविधान संशोधन 1993 के तहत पंचायती राज व्यवस्था के लिए 11वीं अनुसूची को जोड़ा गया था। सविधान के 74 वें संविधान संशोधन 1992 के तहत नगरी निकाय के रूप में 12वीं अनुसूची को जोड़ा गया था। कुल मिलाकर 4 अन्य अनुसूचियों को सविधान में जोड़ा गया इसलिए संविधान में कुल अनुसूचियाँ 8 से बढ़ कर वर्तमान समय में 12 अनुसूचियाँ हो गई।

 

भारतीय संविधान की 1 अनुसूची || schedule 1 of indian constitution

 

भारतीय संविधान की पहली अनुसूची संघ का नाम भारतीय संघ के राज्यों का नाम तथा संघ शासित प्रदेश के नामों का उल्लेख करता है संविधान के पहले अनुसूची के अंतर्गत अनुच्छेद 1 से लेकर अनुच्छेद 4 तक  को शामिल किया गया है।

 

अनुच्छेद 1 के अनुसार संघ का नाम एवं क्षेत्र को शामिल किया गया है, इंडिया अर्थात भारत राज्यों का एक संघ होगा। जिसे इंडिया जब भारत के नाम से जाना जाएगा। राज्यों का संघ और उसके क्षेत्र को पहली अनुसूची में निर्दिष्ट किया गया है। भारत राज्यों का संघ भारत क्षेत्र के अंतर्गत शामिल होंगे, राज्यों के क्षेत्र को पहली अनुसूची में निर्दिष्ट किया जायेगा, केंद्र शासित प्रदेश और ऐसे अन्य क्षेत्र जिन्हें अधिग्रहण किया जाएगा, भारत सरकार के द्वारा इन सभी को पहली अनुसूची में शामिल किया जाएगा।

 

अनुच्छेद 2 के तहत नए राज्यों का प्रवेश या  स्थापना संसद विधि के द्वारा संघ में प्रवेश करा सकती है या ऐसे नियम और शर्तें पर नए राज्यों की स्थापना कर सकती हैं जो संसद को उचित लगे, अनुच्छेद 2 a के तहत सिक्किम को संघ से जोड़ा गया था।

 

अनुच्छेद 3 के तहत नए राज्यों का गठन और मौजूदा राज्यों की क्षेत्रों में सीमाओं में तथा नामों में परिवर्तन संसद के कानून द्वारा किया जा सकता है। संघ के अंतर्गत किसी भी राज्य से क्षेत्र को अलग करके या दो या दो से अधिक राज्यों या राज्यों के कुछ हिस्से को मिलाकर या किसी भी राज्य के एक हिस्से में किसी भी संघ के क्षेत्र को एकजुट कर संसद नए राज्य का निर्माण कर सकती हैं। संसद विधायिका शक्ति द्वारा किसी भी राज्य के क्षेत्र में वृद्धि कर सकती है किसी भी राज्य की क्षेत्र को कम कर सकती हैं किसी भी राज्य की सीमा में परिवर्तन कर सकती हैं किसी भी राज्य के नाम को बदल सकती है।

 

अनुछेद 4 के तहत संसद के द्वारा पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची और पूरक, प्रासंगिक और परिणामी मामलों में संशोधन के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के मामलों के तहत बनाया गया कानून।

 

 

भारतीय संविधान की 2 अनुसूची || schedule 2 of indian constitution

भारतीय संविधान की दूसरी अनुसूची के तहत भारतीय संघ के प्रमुख संवैधानिक अधिकारियों के वेतन भत्ते और पेंशन को शामिल किया गया है, इसके तहत भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों को शामिल किया गया है, अनुच्छेद 59, 65, 75, 97, 125 , 148, 158, 186 और 221 आदि।

1.  भारत के राष्ट्रपति

2 . लोकसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर

3. राज्य सभा के सभापति और उपसभापति

4. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश

5. राज्य के राज्यपाल

6. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश

7. राज्यों के विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष

8. राज्यों के विधान परिषद के सभापति और उपसभापति

9. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक

 

भारतीय संविधान की 3 अनुसूची || schedule 3 of indian constitution

भारत के संविधान की तीसरी अनुसूची के तहत भारतीय संघ के संवैधानिक पदों के अधिकारियों की शपथ और प्रतिज्ञा के संबंध में प्रावधान किया गया है, जिसके तहत निम्नलिखित संवैधानिक पद के अधिकारियों को शामिल किया गया है।

1. मंत्री परिषद्

2. संसद के सदस्य

3. संसद के चुनाव के लिए उम्मीदवार

4. सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीश

5. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश

6. राज्य के मंत्री

7. राज्य विधानमंडल के चुनाव के लिए उम्मीदवार

8. राज्य विधानमंडल के सदस्य

9. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक

भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची के अंतर्गत शपथ और प्रज्ञान के लिए निम्नलिखित अनुच्छेदों को शामिल किया गया।  अनुच्छेद 75, 84, 99, 124, 146, 173, 188 और 219 को इस अनुसूची के अंतर्गत शामिल किया गया है।

 

भारतीय संविधान की 4 अनुसूची || schedule 4 of indian constitution

भारतीय संविधान की चौथी अनुसूची के अंतर्गत राज्यसभा में विभिन्न राज्यों के लिए सीटों का आवंटन किया गया है जिससे राज्यों का प्रतिनिधित्व राज्यसभा के माध्यम से हो सके इस अनुच्छेद के तहत इस अनुसूची के तहत अनुच्छेद 4 और अनुच्छेद 80 को शामिल किया गया है।

 

भारतीय संविधान की 5 अनुसूची || schedule 5 of indian constitution

भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची के अनुसार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों के बारे में प्रावधान किया गया है। इस अनुसूची में असम मेघालय त्रिपुरा व मिजोरम को छोड़कर सभी राज्यों को इसके अंतर्गत शामिल किया गया है यह क्षेत्र भारत के कई राज्यों में फैला हुआ है जिनके प्रशासन और नियंत्रण संबंधी जानकारी को भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची में जोड़ा गया है। भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची अनुच्छेद 244 के तहत अनुसूचित क्षेत्र और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित प्रावधान करता है।

 

भारतीय संविधान की 6 अनुसूची || schedule 6 of indian constitution

भारतीय संविधान की छठवीं अनुसूची के अनुसार अनुच्छेद 244 और 275 के तहत असम मेघालय त्रिपुरा और मिजोरम राज्य में आदिवासी क्षेत्र के प्रशासन से संबंधित प्रावधान किया गया है।

 

भारतीय संविधान की 7 अनुसूची || schedule 7 of indian constitution

भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच शक्ति का विभाजन किया गया है, इन शक्तियों को तीन सूची में बांटा गया है

1. संघ सूची - 100 विषय  ( मूल संविधान -97 विषय )

भारतीय संविधान में संघ सूची के अंतर्गत मूल संविधान में 97 विषयों को शामिल किया गया था। जिस पर विधि / कानून बनाने का केवल अधिकार संघ में निहित है। इसके अंतर्गत संघ को विधि बनाने के अधिकार के अंतर्गत बैंकिंग विदेशी मामले शेयर मार्केट जनगणना परमाणु शक्ति युद्ध एवं शांति जैसे विषयों को शामिल किया गया है।परंतु वर्तमान में 97 विषयों से बढ़ाकर 100 विषय संघ सूची में शामिल किया गया है।

 

2. राज्य सूची - 61  विषय ( मूल संविधान -66 विषय )

भारतीय संविधान के राज्य सूची के अंतर्गत मूल संविधान में 66 विषयों को सम्मिलित किया गया था जिस पर विधि/ कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य को दिया गया है राज्य सूची में विधि बनाने का अधिकार संघ द्वारा निर्धारित किए गए हैं जिसके अंतर्गत कृषि पुलिस स्थानीय प्रशासन पंचायती राज जैसे विषयों को शामिल किया गया है परंतु वर्तमान में 66 विषयों से घटकर 61 विषय राज्य सूची के अंतर्गत है।

 

3. समवर्ती सूची -52 विषय (मूल संविधान -47 विषय )

भारतीय संविधान के सातवें अनुसूची के अनुसार समवर्ती सूची को शामिल किया गया है जिसके अंतर्गत मूल संविधान में 47 विषयों को शामिल किया गया था लेकिन वर्तमान समय में इन विषयों की संख्या बढ़कर 52 हो गई है समवर्ती सूची में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर विधि या कानून का निर्माण करते हैं यदि समवर्ती सूची में राज्य और केंद्र के विषय समान हो तो केंद्र द्वारा बनाए गए विधि या कानून को राज्य सरकार को मानना पड़ता है या विवाद की स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून को मान्यता प्राप्त होती है समवर्ती सूची के अंतर्गत वन, विवाह जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन, शिक्षा संबंधित जैसे अन्य विषयों में कानून बनाने का प्रावधान किया गया है।

 

भारतीय संविधान की 8 अनुसूची || schedule 8 of indian constitution

 

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत संविधानिक भाषाओं का उल्लेख किया गया है। मूल संविधान में 14 राजभाषा को सम्मिलित किया गया था। जोकि समय-समय पर सविधान संशोधन के माध्यम से संविधानिक भाषा का अन्य भाषाओं को दर्जा दिया गया। वर्तमान में संविधानिक भाषाएं 22 हैं।संसद को अधिकार है कि वह भारत की किसी भी भाषा को राजभाषा घोषित कर सकती है या घोषित राजभाषा को हटा सकती है।

 

भारत के 22 भाषाओं के नाम

1. बंगाली 2.गुजराती 3.हिंदी 4.असामिय 5.कन्नड़ 6.कश्मीरी 7.मलयालम 8.मराठी 9.पंजाबी 10.ओडिया 11.संस्कृत 12.हिंदी 13.तेलुगू 14.तमिल 15.उर्दू 16.कोंकणी 17.मणिपुरी 18.बोडो 19.नेपाली 20.डोंगरी 21.संथाली 22.मैथिली है।

 

21 संविधान संशोधन

संविधान संशोधन 21 के तहत 1967 में सिंधी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिया गया इसके तहत इससे जुड़कर संविधानिक भाषा 15 हो गई।

 

71 वें संविधान संशोधन

संविधान संशोधन 71 के तहत 1992 में संविधानिक भाषा के रूप में मणिपुरी कोंकणी और नेपाली को राजभाषा का दर्जा दिया गया। इसके तहत इससे जुड़कर संविधानिक भाषा 18 हो गई।

 

92 वां संविधान संशोधन

संविधान संशोधन 92 के तहत 2003 में संवैधानिक दर्जा प्राप्त करने वाले अन्य भाषा डोंगरी बोडो संथाली और मैथली को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ जिसे जोड़कर  वर्तमान में संविधानिक भाषाएं 22 हैं।

 

 

भारतीय संविधान की 9 अनुसूची || schedule 9 of indian constitution

भारतीय संविधान में नौवीं अनुसूची के अंतर्गत भूमि सुधार और जमीदारी प्रथा के उन्मूलन से संबंधित प्रावधानों को सम्मिलित किया गया है जिसके कारण जमींदारी प्रथा को समाप्त किया गया है इस अनुसूची को संविधान में पहले संविधान संशोधन 1951 के द्वारा जोड़ा गया था। यह अनुसूची मूल संविधान का भाग नहीं था, पहले संविधान संशोधन के द्वारा जोड़ने के बाद इसे संविधान का भाग माना गया। इस अनुसूची के तहत संपत्ति के अधिग्रहण से संबंधित प्रावधानों को उल्लेखित किया गया है। संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित विषयों को किसी भी प्रकार से न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है वर्तमान में इस अनुसूची के अंतर्गत 284 अधिनियम को वर्णित किया गया है।

 

भारतीय संविधान की 10 अनुसूची || schedule 10 of indian constitution

भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत राजनीतिक गतिविधियों को दूर करने के लिए 52 संविधान संशोधन 1985 को एक नई अनुसूची संविधान में सम्मिलित किया गया। जिसे दल बदल कानून के रूप में जाना जाता है दलबदल कानून से संबंधित प्रावधानों को सविधान के दसवीं अनुसूची में उल्लिखित किया गया।

 

भारतीय संविधान की 11 अनुसूची || schedule 11 of indian constitution

संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची को 73वें संविधान संशोधन 1992 में जोड़ा गया है, जो पंचायती राज / स्थानीय स्वशासन का उल्लेख करता है , इस अनुसूची से स्थानीय स्वशासन को भारतीय संविधान के तहत शक्ति प्राप्त होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 के तहत राज्यों में ग्राम पंचायत के स्थापना का निर्देश दिया गया है।  विभिन्न समयों में गठित विभिन्न समिति एवं उनके सिफारिशों के आधार पर 1992 में 73 वा संविधान संशोधन का भारतीय संविधान के भाग 9 एवं एक नई अनुसूची जोड़ी गई, वर्तमान में पंचायती राज / स्थानीय स्वशासन 11वीं अनुसूची के अंतर्गत 29 विषयों को शामिल किया गया है। ग्यारहवीं अनुसूची के अंतर्गत सविधान भाग 9 के अंतर्गत अनुच्छेद 243 (क) से लेकर अनुच्छेद 243( णं ) को शामिल किया गया है।

 

भारतीय संविधान की 12 अनुसूची || schedule 12 of indian constitution

संविधान की 12वीं अनुसूची के तहत नगरीय निकायों का प्रावधान किया गया है इस अनुसूची को संविधान में 74 वें संविधान संशोधन 1993 के द्वारा मान्यता दिया गया। 12वीं अनुसूची शहरी क्षेत्रों में नगर निगम नगर पालिका नगर पंचायत जैसे शहरी स्थानीय शासन का उल्लेख करते हैं संविधान की 12वीं अनुसूची के अंतर्गत शहरी क्षेत्र में स्थानीय स्वशासन के लिए 18 विषयों को शामिल किया गया है जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा विधि या कानून बनाया जा सकता है। 12वीं अनुसूची को संविधान के भाग 9 (क ) में अनुच्छेद 243 (त )से 243(यछ ) में उल्लेखित किया गया है।

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