महिलाओं के लिए संवैधानिक प्रावधानों की विवेचना कीजिए || mahilao ke liye samvaidhanik pravdhan

भारतीय संविधान में महिलाओं के अधिकार | Provision of women in Indian constitution

 

महिलाओं के अधिकार और कानून
महिलाओं के मौलिक अधिकार

महिलाओं के संवैधानिक अधिकार

भारतीय संविधान केवल महिला और पुरुषों की समानता पर बल देता है बल्कि महिला सशक्तिकरण को एक सुनियोजित मार्गदर्शन भी प्रस्तुत करता है भारतीय संविधान के अनुच्छेदों में अनेक प्रावधान दिए गए हैं जिसके तहत महिला सशक्तिकरण और समानता पर अधिक बल दिया जा सकता है यह भारतीय संविधान की न्याय पूर्ण प्रमुख विशेषताएं हैं जो महिला और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं करता है बल्कि सभी को समान अधिकार प्रदान करता है।

 

भारतीय संविधान की उद्देशिका

भारतीय संविधान की उद्देशिका में भारत के प्रत्येक नागरिक ( महिला और पुरुष ) को सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक न्याय प्रदान करता है, साथ ही साथ अभिव्यक्ति विचार धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करता है। भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने का अधिकार देता है, प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान व्यक्ति की गरिमा राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाले बंधुत्व को बढ़ाने का अधिकार प्रदान करता है। यह सांविधानिक प्रावधान केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिला पर भी समान रूप से लागू होता है जिससे देश के विधायिका न्यायपालिका और कार्यपालिका के प्रशासन को बेहतर ढंग से संचालन किया जा सकता है।

 

अनुच्छेद 14 - कानून के समक्ष समानता

कानून के समक्ष समानता और कानूनों के समान संरक्षण के सामान्य सिद्धांतों का प्रतीक है। जो आर्थिक राजनीतिक सामाजिक क्षेत्रों में समान अधिकार एवं अवसर पर बल प्रदान करता है,

 

अनुच्छेद 15 - भारतीय संविधान ने लिंग के आधार पर भेदभाव वर्जित

भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार महिला और पुरुष दोनों को किसी भी आधार पर धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार से भेदभाव करने पर वर्जित किया गया है।

अनुच्छेद 15(1) और (2) राज्य को किसी एक या एक से अधिक पहलुओं जैसे धर्म, जाति, लिंग, नस्ल, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव करने से प्रतिबंधित करता है।

अनुच्छेद 15(3) महिलाओं और बच्चों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य विशेष प्रावधान या उपबंध को बनाना संभव बनाता है।

अनुच्छेद 15(4) भारतीय संविधान समाज के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों और कल्याण को बढ़ावा और संरक्षण देने के लिए विशेष व्यवस्था बनाने के लिए राज्य को सक्षम बनाता है। इसी अनुच्छेद के तहत महिलाओं के लिये आरक्षण या बच्चों के लिये मुफ्त शिक्षा इसी उपबंध आते हैं।

 

अनुच्छेद 16 - अवसर की समानता

अनुच्छेद 16 राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति में लोक नियोजन से संबंधित विषयों में अवसर की समानता के मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता प्रदान करता है।

 

अनुच्छेद 23- शोषण के विरुद्ध अधिकार

भारतीय संविधान के इस अनुच्छेद के अनुसार मानव तस्करी,बेगार और दुर्वयवहार की मनाही इसी प्रकार के अन्य प्रावधानों को प्रतिबंधित किया गया है जिससे देश की लाखों और सुविधा से वंचित लोगों की रक्षा की जा सके। यह प्रावधान भारत के नागरिक एवं भारत में रहने वाले गैर नागरिक दोनों के लिए उपबंध करता है। भारत में मानव तस्करी के विरुद्ध किसी भी महिला पुरुष बच्चे की खरीदी बिक्री नहीं की जा सकती है, महिलाओं को वेश्यावृत्ति के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, इस संवैधानिक प्रावधान के अंतर्गत देवदासी और दास प्रथा जैसे अन्य प्रावधानों को प्रतिबंधित किया गया है।

 

अनुच्छेद 39 - समान रूप से जीविका समान वेतन एवं गरिमा में वातावरण

अनुच्छेद 39 भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार सभी नागरिक को समान रूप से जीविका समान वेतन एवं गरिमा में वातावरण निर्माण का प्रावधान करता है।

अनुच्छेद 39(a) - भारतीय संविधान के अनुसार राज्य के प्रत्येक नागरिकों, पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से आजीविका के पर्याप्त साधन का अधिकार का प्रावधान करता है।

अनुछेद 39 (b )भारतीय संविधान का यह अनुच्छेद संसाधनों और उन संसाधनों और सामग्री का स्वामित्व इस प्रकार से वितरित किया जाए कि जिससे समान लक्ष्य को पूरा किया जा सके इससे संबंधित प्रावधानों को प्रस्तुत करता है।

अनुच्छेद 39 (c) - भारतीय संविधान के इस अनुच्छेद के अनुसार आर्थिक प्रणाली को किस तरह से क्रियान्वित किया जाना चाहिए कि धन और उत्पादन के साधनों के सकेंद्रण  के परिणाम स्वरूप किसी भी तरह की नुकसान ना हो।

अनुच्छेद 39 (d) - भारतीय संविधान इस अनुच्छेद के अनुसार किसी भी नागरिक को महिला और पुरुष को समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए और साथ ही साथ उस को बढ़ावा दिया जाए। 

 

अनुच्छेद 39 (e)भारतीय संविधान के इस अनुच्छेद के तहत श्रमिकों के स्वास्थ्य और ताकत के साथ चाहे वह महिला हो या पुरुष हो या बच्चे हो के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार या फिर भेदभाव नहीं किया जाए। इसके साथ साथ आर्थिक आवश्यकता /व्यवसाय में प्रवेश करने से नहीं रोका जाए, जो विशिष्ट आयु वर्ग या शक्ति के अनुपयुक्त है। 

अनुच्छेद 39 (f )भारतीय संविधान के इस अनुच्छेद के अनुसार बच्चों को उचित अवसर प्रदान किया गया है जो उनके स्वास्थ्य स्वतंत्रता सम्मान की स्थिति निर्माण में मदद करता है इसके साथ साथ बच्चों की बचपना और युवावस्था को किसी भी तरह से शोषण जैसे नैतिक या भौतिक रूप से शोषण के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है।

 

अनुच्छेद 42 - काम पर मानवीय स्थितियां

भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार भारतीय नागरिक को काम की न्याय संगत मानवोचित दशाओं का निर्माण तथा महिलओं के प्रसूतिकाल में सहायता अर्थात मातृत्व राहत के लिए प्रावधान करता है।

 

अनुच्छेद 51 A - मौलिक कर्तव्य 

अनुच्छेद 51 A (e) प्रत्येक नागरिक को महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करने का आदेश देता है साथ ही साथ समरसता एवं भातृत्व की भावना के विकास का प्रावधान करता है।

 

महिलाओं के लिए पंचायती राज्य प्रावधान

भारतीय संविधान में 73वें संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 243 () में स्वशासन को बेहतर बनाने के लिए पंचायतों में महिलाओं को एक तिहाई पदों पर आरक्षण प्रदान किया गया है जिससे स्वशासन व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका बढ़ सके।

 

महिलाओं के लिए नगरीय निकायों में संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान के 74 वें संविधान संशोधन के अनुसार नगरी निकाय स्वशासन को बेहतर बनाने के लिए महिलाओं को अनुच्छेद 243() के तहत निर्वाचन सीटों पर एक तिहाई पदों पर आरक्षण दिया गया।

 

मतदान का अधिकार और चुनावी कानून

 

राज्य एवं स्थानीय स्वशासन में महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार दिया गया। केंद्र राज्य एवं स्थानीय स्वशासन में ऐसी सीटों को विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में चक्रानुक्रम से आवंटित किया जा सकता है। स्थानीय स्वशासन में महिलाओं को गांव या किसी अन्य स्तर पर ग्राम पंचायत में अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए उस तरीके से आरक्षित होगा, जैसा कि राज्य की विधायिका सीट के कानून द्वारा प्रदान किया जाता है

 

नगरी निकाय स्वशासन को बेहतर बनाने के लिए महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार दिया गया।

 

संवैधानिक जनादेश को बेहतर बनाए रखने के लिए, राज्य ने महिला और पुरुष को समान अधिकार सुनिश्चित करने, सामाजिक भेदभाव, हिंसा और अत्याचार के विभिन्न रूपों का मुकाबला करने के लिए विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं को सहायता सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से विभिन्न विधायी उपायों को लागू किया है। हालांकि भारतीय समाज में पिछड़पन के कारण महिलाएं हत्या, डकैती और धोखाधड़ी आदि जैसे किसी भी अपराध की शिकार हो सकती हैं।

 

जो यह अपराध विशेष रूप से पिछड़े वर्ग विशेष महिलाओं के खिलाफ निर्देशित होते हैं। और इस अपराधों को ही महिला के खिलाफ शोसन और अपराध के रूप में जाना जाता है। केंद्र राज्य और स्थानीय स्वशासन चुनाव के समय भारत के प्रत्येक नागरिक महिला और पुरुष को अपनी मत अधिकार को प्रयोग करने का अधिकार भारतीय संविधान प्रदान करता है या एक सावधानी और विधिक अधिकार है जो समान रूप से सभी नागरिक को प्रदान किया गया।



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