10 परमाणु ऊर्जा के लाभ और हानि | Advantages and disadvantages of nuclear energy

नाभिकीय ऊर्जा के लाभ और हानि | Nuclear energy pros and cons

 

disadvantages to nuclear energy
advantages of nuclear energy

नाभिकीय ऊर्जा क्या है

 

प्रत्येक परमाणु के नाभिक के केंद्र में प्रोट्रान और न्युट्रान रहते हैं, जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन विभिन्न कक्षाओं के घेरे में गमन करता रहता है, किसी भी पदार्थ के परमाणु के केंद्र में स्थित नाभिका में स्थित प्रोट्रान, न्युट्रान और इलेक्ट्रान असीमित ऊर्जा का भंडार होता है, जिसे हम न्यूक्लियर एनर्जी के रूप में प्रयोग लाकर असीमित ऊर्जा को प्राप्त करते हैं, नाभिकीय अभिक्रिया दो प्रकार के अभिक्रिया से प्राप्त किए जा सकते हैं, नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन के माध्यम से नाभिकीय ऊर्जा की असीमित ऊर्जा को उपयोग में लाया जा सकता है, और इस क्रिया से उत्पन्न होने वाले ऊर्जा को ही हम नाभिकीय ऊर्जा के नाम से जानते हैं।

 

परमाणु ऊर्जा लाभparmanu urja ke kya labh hai

 

1. अत्यधिक ऊर्जा की मात्रा

नाभिकीय ऊर्जा के माध्यम से जब हम uranium-235 की छोटी सी मात्रा को श्रृंखला अभिक्रिया के माध्यम से नाभिकीय विखंडन करते हैं, तो यह अत्यधिक मात्रा में उर्जा  विमोचित करती है, अगर यह सुरक्षित रूप से प्रयोग में लाया जाए तो यह आधुनिक दुनिया के लिए वरदान साबित होगा। क्योकि नाभिकीय ऊर्जा से बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा किया जा सकता है। 

 

2. पर्यावरण प्रदूषण के लिए कम हानिकारक

नाभकीय ऊर्जा की विशेषता होती है, कि हम जब नाभिकीय ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, तो प्रकृति से प्राप्त होने वाले यूरेनियम से श्रृंखला अभिक्रिया करके इस ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, इस ऊर्जा के उत्पादन में बहुत ही कम मात्रा में विषैले वायु यह तत्वों का निर्माण होता है, और इन विषैले वायु और तत्वों का सही से निपटारा किया जाए, तो यहां पर यह पर्यावरण प्रदूषण को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचाती है, नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया में ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है, ना ही इस अभिक्रिया में किसी तरह की कार्बन डाइऑक्साइड का विमोचन होता है, जो पृथ्वी के पर्यावरण को प्रदूषित कर सकें, अर्थात नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन से पृथ्वी के वातावरण में ना के बराबर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है।

 

3. खनिज पदार्थ का उपयोग

नाभिकीय अभिक्रिया में प्रयोग में लाए जाने वाला ईंधन यूरेनियम 235 का उपयोग होता है, जो प्रकृति से खनिज के रूप में हम प्राप्त कर सकते हैं, यदि यूरेनियम की मात्रा अधिक मात्रा में या पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो नाभिकीय ऊर्जा, हमें निरंतर प्राप्त होती रहेगी और यह आधुनिक दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा देने में हमेशा सहायक सिद्ध होगा।

 

4. स्वच्छ ऊर्जा स्रोत

नाभिकीय अभिक्रिया के दौरान जब हम यूरेनियम 235 की एक छोटी सी मात्रा को श्रृंखला अभिक्रिया के माध्यम से उर्जा के विमुक्ति के लिए प्रयोग में लाते हैं, तो इससे अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विमोचन होती है, लेकिन पर्यावरण में विषैले वायु तत्व जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड कार्बन डाई ऑक्साइड सल्फर डाई ऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड जैसे विषैले गैस का उत्पादन नहीं होता है, जिससे नाभिकी ऊर्जा के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा स्रोत प्राप्त किया जा सकता है।

 

5. भूमि का उपयोग

नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के लिए भूमिका कम से कम उपयोग करके अधिक से अधिक नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त किया जा सकता है, जैसे ऊर्जा के अन्य स्रोतों के माध्यम में से कंपेयर करें, उदाहरण के तौर पर पेट्रोलियम रिजरवायर, पवन चक्की सोलर प्लांट, थर्मल प्लांट जैसे अनेक ऊर्जा उत्पादन करने वाले क्षेत्रो की तुलना में कंपेयर किया जाए तो नाभिकी ऊर्जा के उत्पादन के लिए कम से कम भूमि का उपयोग होता है।

 

6. जीवाश्म ईंधन की बचत

हम सभी जानते हैं, कि पृथ्वी में एक सीमित मात्रा में कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस उपस्थित हैं, जिसे हम इंधन के रूप में अत्यधिक प्रयोग करके उसकी सीमित मात्रा को और सीमित करते जा रहे हैं, यदि हम नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं, तो कम मात्रा में यूरेनियम 235 का उपयोग करके, हम अधिक से अधिक मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, और यह इंधन प्रदूषण मुक्त होता है, और इस ईंधन के माध्यम से बहुत बड़ी आबादी को आसानी से ऊर्जा दिया जा सकता है।

 

 

परमाणु ऊर्जा हानि | Loss of nuclear power 

 

1. यूरेनियम के प्राकृतिक स्रोत

पृथ्वी में बहुत कम मात्रा में यूरेनियम 235 के प्राकृतिक स्रोत उपस्थित हैं, नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया में उपयोग लेन वाले यूरेनियम 235 एक निश्चित मात्रा नाभिकीय विखंडन के लिए बाध्यकारी साबित होती है, अर्थात अगर सीमित पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम 235 पदार्थ की उपस्थिति हो होती है, तो ऊर्जा का उत्पादन नहीं किया जा सकता है, यह नाभिकीय ऊर्जा के लिए बाध्यकारी साबित हो सकता है।

 

2. पर्यावरण के लिए हानि

नाभिकीय प्रक्रिया में नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के समय विषैली गैस नहीं के बराबर उत्पादित होते हैं, लेकिन नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के समय अनेक नाभिकीय अपशिष्ट पदार्थ जो रेडियोधर्मी से युक्त होते हैं, वह पर्यावरण को प्रदूषित और हानि पहुंचाने में सहायक होता है, जिसका लंबे समय तक पर्यावरण में असर देखने को मिलता है।

 

3. ऊर्जा उत्पादन के समय खतरा

नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के समय अनेक तरह के रेडियोधर्मी खतरे संभावित होते हैं, जो वनस्पति और जीव जंतु के लिए बहुत हानिकारक होता है, यदि नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के समय इन कारकों को ध्यान में नहीं रखा गया, तो इसके बहुत नकारात्मक परिणाम भविष्य में देखने को मिलता है, नाभिकीय उर्जा उत्पादन सहज नहीं होता है, इसके लिए अनेक प्रक्रियाओं और सावधानियों को ध्यान में रखकर उत्पादन करना होता है।

 

4. नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन की लागत

नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन करना आसान नहीं होता है, इसके लिए बहुत अधिक लागत की जरूरत होती है, एक परमाणु संयंत्र को बनने में कई वर्षों का समय लगता है, और इस परमाणु संयंत्र को बनाने के लिए बहुत अधिक मात्रा में पैसे की जरूरत पड़ती है, इसी कारण नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन आसानी से संभव नहीं हो पाता है, अर्थात परमाणु संयंत्र बनाने के लिए अधिक से अधिक लागत की जरूरत होती है।

 

5. नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के लिए यांत्रिकी ज्ञान

परमाणु संयंत्र में कार्य करने वाले लोगों को परमाणु संयंत्र से जुड़े हुए तकनीकी और वैज्ञानिक पद्धति का ज्ञान होना आवश्यक होता है, जब तक परमाणु संयंत्र में काम करने वाले व्यक्तियों के पास सही कौशल का ज्ञान नहीं होगा, तब तक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन नहीं किया जा सकता है, इसके लिए प्रोफेशनल स्किल और वैज्ञानिकों की जरूरत होती है, इसी के माध्यम से ही परमाणु संयंत्रों को संचालित किया जा सकता है, तभी हम नाभिकीय उर्जा का उत्पादन कर सकते हैं।

 

6. नाभिकीय ऊर्जा विनाशकारी हो सकता है

यदि हम परमाणु संयंत्रों को तकनीकी और वैज्ञानिक पद्धतियों के माध्यम से संचालित नहीं करते हैं, या इसका समय समय पर मेंटेनेंस नहीं करते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव वनस्पति और जीव जंतुओं पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है, उदाहरण के तौर पर जापान और यूक्रेन में देखने को मिलता है, नाभिकी संयंत्रों के संचालन के समय विशेष रखरखाव और विशेषज्ञों की जरूरत होती है।

 

7. प्राकृतिक आपदा का प्रभाव

अनेक बार परमाणु संयंत्रों को संचालित करते समय प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है, परमाणु संयंत्रों को इस कदर मजबूत और सुरक्षित बनाना आवश्यक है, कि वह प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रह सके, जैसे भूकंप सुनामी ज्वालामुखी चक्रवात इत्यादि के कारण परमाणु संयंत्रों को नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसका भुगतान वनस्पति और जीव जंतुओं को नकारत्मक रूप से भुगतान पड़ता है।


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