लाल और पीली मिट्टी | Red and Yellow soil in hindi

लाल और पीली मिट्टी क्या है | what is red and yellow soil in hindi 

red and yellow soil in hindi
red and yellow soil 


लाल और पीली मिट्टी | red and yellow soil in hindi 

लाल और पीली मिट्टी को उसके रंग के आधार पर लाल, पीली एवं चाकलेटी मिट्टी  कहते है, लाल और पीली मिट्टी सामन्यतः शुष्क जलवायु और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों के अपरदन और टूट-फूट से बनती है, लाल और पीली मिट्टी पानी के संपर्क में आने से इसके रंग में हल्क परिवर्तन होता है, जिसे यह मृदा पीला दिखाई देने लगता है, इस मिट्टी का लाल रंग रवेदार परतों तथा कायांतरित चट्टानों में लोहे के व्यापक मिश्रण ( आयरन ऑक्साइड ) के कारण होता है, लाल और पीली मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना तत्वों की अधिकता होती है। इस मिट्टी में बहुत अधिक रंध्र पाए जाते हैं, इस कारण इसकी जल को ग्रहण करने की क्षमता बहुत कम होती है,लाल पीली मिट्टी फसलों के लिए उतनी उपयुक्त मृदा नहीं मानी जाती है, लेकिन महीन कणों वाली लाल और पीली मृदा उर्वर होती है, मोटे कणों वाली लाल और पीली मिट्टी उपजाऊ नहीं होती है, इस मिट्टी में मुख्यतः कुछ फसलों के लिए यह बहुत कारगर साबित होता है, जैसे कि बाजरा फसल के लिए यह  मिट्टी बहुत उपयुक्त मानी जाती है।किन्तु गहरे लाल रंग की मिट्टी कपास, गेहूँ, दाल, मोटे अनाज, के लिए उपयुक्त है।  किन्तु उच्च कोटि की गहरे लाल और पीली मिट्टी की मिट्टी कपास, गेहूँ, दाल, मोटे अनाज, के लिए उपयुक्त है। लाल गहरे रंग की मिट्टी मोटे अनाज, कपास, गेहूं, दाल,  के फसलों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

 

भारत में लाल और पीली मिट्टी |red and yellow soil in india

लाल और पीली मिट्टी का विस्तार रवेदार आग्नेय चट्टानों के अपरदन से होता है, यह मुख्यतः भारत में दक्कन के पठार के पूर्वी और दक्षिणी भाग में कम वर्षा वाले क्षेत्रों में हुआ है। साथ ही साथ उड़ीसा, पश्चिमी घाट, छत्तीसगढ़, मध्य गंगा के दक्षिणी भाग, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, मेघालय, राजस्थान, तमिलनाडु, नागालैण्ड, उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र में हुआ है।

 

लाल और पीली मिट्टी में पाए जाने वाले तत्व | Elements found in red and yellow soil 

लाल और पीली का रासायनिक संघटन देखा जाये तो, लाल और पीली मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना तत्वों की अधिकता होती है। लेकिन नायट्रोजन, हुमस और फॉस्फोरस की कमी पाई जाती है। जिसके करना यह मिट्टी फसल के उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है।


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