महासागरीय धाराएं क्या है | ocean currents upsc
महासागरीय धाराएं |
महासागरीय
धाराएं किसे कहते हैं | ocean currents in hindi
महासागरीय
जल धाराओं का निर्माण प्राकृतिक घटनाओं से निर्मित होती है, महासागरीय जलधाराएं समुद्र
के अंदर निरंतर बहने वाली विशाल नदी के सामान है, अर्थात महासागरीय जलधाराएं निरंतर
बहने वाली महासागर के अंदर नदी है, जो निश्चित
दिशा में प्रवाहित होती रहती है। यह महासागर के अंदर जल का प्रवाह निरंतर करते रहता
है, अर्थात महासागर में एक निश्चित दिशा में प्रवाहित होने वाली बहुत अधिक दूरी तक
महासागरीय जल की एक विशाल जल राशि की प्रवाह को महासागरीय जलधारा रहते हैं।
महासागरीय
जलधारा को प्रभावित करने वाले कारक | factors affecting ocean currents
महासागरीय
जल धाराओं को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक हो सकते हैं, जैसे पृथ्वी में तापमान
की स्थिति, महासागरीय दाब की स्थिति, कोरिओलिस बल, पृथ्वी की घूर्णन, पृथ्वी का परिक्रमण,
अक्षांशों की स्थिति, जल में लवण का घनत्व, पवनों की स्थिति, पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा
का गुरुत्वकर्षण इत्यादि कारक महासागरीय जल धाराओं को प्रभावित करते है।
महासागरीय
धाराएं दो प्रकार की होती है | types of ocean currents
1. गर्म महासागरीय जलधाराएं ( Warm ocean
currents )
जब
महासागर के अंदर जल धाराओं का प्रभाव भूमध्य रेखा से ध्रुव की ओर होने लगती है, अर्थात
निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर होने लगती है। तो उसे महासागरीय गर्म जल धारा
कहा जाता है, गर्म जल धारा अधिकतर भूमध्य रेखा के आसपास बनता है, यह प्रत्यक्ष रूप
से सूर्य के ताप से अधिक प्रभावित होता है, सूर्य के ताप के कारण सागरी जल गर्म होने
लगती है, जिसे भू-मध्यरेखीय सागरी जल में निम्न दाब की स्थित उत्पन्न हो जाता है, और
जल का घनत्व ध्रुव सागरीय जल की अपेक्षा अधिक हो जाती है। क्योकि भूमध्य सागरी जल सूर्य
के ताप के कारण गर्म होने से अधिक लवण को घोल लेता है, जिसे भूमध्य सागरी जल का घनत्व
बढ़ने लगता है, लेकिन भूमध्य सागरीय जलधारों को सूर्य का ताप अधिक मिलने के कारण निम्न
दाब का निर्माण करता है, अर्थात वायु की गति निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर जाने
लगती है, वायु की गति हमेशा निम्न दाब से उच्च दाब की ओर संचारित करती है, इससे यह
स्पष्ट होता है, कि महासागरीय जल धाराओं को पवनों से प्रभावित होती हैं, तो इस पवन
के कारण जलधारो की गति निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर गमन करती है। भूमध्य सागरीय
जल निम्न अक्षांश के अपेक्षा कृत उच्च अक्षांश प्रवाहित होने लगाती है, अर्थात भू-मध्यरेखीय
सागरी जल का प्रवाह ध्रुव सागरीय जल की ओर होने लगता है। इस गर्म महासागरीय जलधाराएं
प्रवाह में कोरिओलिस बल, पृथ्वी की घूर्णन, पृथ्वी का परिक्रमण, अक्षांशों की स्थिति,
जल में लवण का घनत्व, पवनों की स्थिति, पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा का गुरुत्वकर्षण
विभिन्न कारक प्रत्यक्ष और परोक्षा रूप से अहम भूमिका निभाती है। गर्म महासागरीय जलधाराएं
के उदाहरण के तौर पर उत्तरी विषुवत रेखीय की जलधारा दक्षिण विषुवत रेखीय की जलधारा,
पूर्वी ऑस्ट्रेलिया जलधारा इत्यादि।
2. ठंडी महासागरीय जलधाराएं ( cold ocean
currents )
जब
महासागर के अंदर जल धाराओं का प्रवाह ध्रुव से भूमध्य रेखा की ओर होने लगती है, अर्थात
उच्च अक्षांश से निम्न अक्षांश की ओर होने लगता है। तो उसे महासागरीय ठंडी जल धारा
कहा जाता है, ठंडी जल धारा अधिकतर पृथ्वी के दोनों ध्रुव के आसपास बनता है, यह प्रत्यक्ष
रूप से सूर्य के निम्न ताप से अधिक प्रभावित होता है, सूर्य के निम्न ताप के कारण सागरी
जल बहुत अधिक ठंडी होने लगती है, जिसे ध्रुवीय सागरी जल में उच्च दाब की स्थित उत्पन्न
हो जाता है, और जल का घनत्व भूमध्य रेखीय सागरीय जल की अपेक्षा निम्न हो जाती है। क्योकि
ध्रुव में जल को सूर्य के निम्न ताप के कारण ठंडा होने से निम्न लवण को घोल पता है,
जिसे ध्रुव सागरी जल का घनत्व घटने लगता है, लेकिन ध्रुव सागरीय जलधारों को सूर्य का
निम्न ताप मिलने के कारण उच्च दाब का निर्माण करता है, लेकिन ध्रुव में कोरिओलिस बल
अधिक प्रभावी होता हैं, इसी कारण महासागरीय जलधारिओं की दिशा उच्च अक्षांश से निम्न
अक्षांश की ओर बहने लगती है, अर्थात उच्च दाब से निम्न दाब की ओर प्रभावित होती है,
महासागरीय जलधाराएं अपने उच्च दाब की कारण अधिक प्रभावित होती है और यह पवनों की दिशा
को ध्रुव से भूमध्य सागर की ओर प्रवाहित होने के लिए विवश कर देते हैं। इस ठंडी महासागरीय
जलधाराएं प्रवाह में कोरिओलिस बल, पृथ्वी की घूर्णन, पृथ्वी का परिक्रमण, अक्षांशों
की स्थिति, जल में लवण का घनत्व, पवनों की स्थिति, पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा का गुरुत्वकर्षण
विभिन्न कारक प्रत्यक्ष और परोक्षा रूप से अहम भूमिका निभाती है। ठंडी महासागरीय जलधाराएं
जिस ओर गमन करती है, उस क्षेत्र में अधिक दाब का निर्माण करती है, और वहां के आसपास
के वातावरण अपेक्षाकृत अधिक ठंडी कर देती है। ठंडी महासागरीय धाराएं एक उदाहरण के तौर
पर फॉकलैंड की जलधारा, लैब्राडोर की जलधारा, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की जलधारा इत्यादि।
इन्हें भी पढ़े -
जैव विविधता के नुकसान के 15 प्रमुख कारण
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- अर्थ, लाभ, नुकसान, उपयोग
वनों की कटाई को नियंत्रित करने के 10 तरीके
रेडियोधर्मी प्रदूषण को नियंत्रित करने के 10 तरीके
रेडियोधर्मी प्रदूषण - अर्थ, स्रोत एवं प्रभाव
मृदा प्रदूषण - अर्थ, कारण, प्रभाव, निवारण एवं रोकथाम
वायु प्रदूषण - अर्थ, कारण, प्रभाव, रोकथाम एवं निवारण
प्रकाश प्रदूषण - अर्थ, कारण, प्रभाव एवं उपाय
ATP क्या है - ATP का निर्माण, ATP full form , सूत्र, प्रमुख कार्य
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले 10 कारक
ज्वालामुखी उद्गार से कौन-कौन सी गैस निकलती है
काली मिट्टी - काली मिट्टी का निर्माण, रंग , pH मान, विशेषता
संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य क्या है
महिलाओं के लिए संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां
0 टिप्पणियाँ
Please do not enter in spam link in the comment box...