जलोढ़ किसे कहते हैं | alluvial soil definition in hindi
जलोढ़ मृदा |
जलोढ़
मृदा | alluvial soil in hindi
जलोढ़
मृदा नदियों और सरिता के द्वारा निक्षेपित किया गया हुआ मृदा है। नदियों या सरिताओं
के जल द्वारा बहाकर लाये गए गाद, मृतिका के महीन कणों के साथ साथ बालू और बजरी के कणों
से नदी के तलहटी के आसपास ज़माने से जलोढ़ मृदा या कछहरी मृदा का निर्माण होता है, यह
एक कालक्रम के लंबी अवधी में निर्मित होता है। भारत में गंगा नदी के ऊपरी भाग और मध्यवर्ती
मैदानों में नदियों और सरिताओं से मृदा के लगातार निक्षेपण से खादर और बांगर नाम के
दो भिन्न मृदा विकास हुआ है।
खादर
तथा बांगर किसे कहते हैं
खादर
जलोढ़ मृदा के गठन में प्रतिवर्ष बाढ़ो के द्वारा निक्षेपित होने वाला नया जलोढ़ मृदा
होता है। जो की नदियों और सरिताओं से मृदा के निक्षेपण से महीन गाद होने के कारण मृदा
की उर्वरता में वृद्धि कर देता है।
बांगर
जलोढ़ मृदा के गठन का पुराना जलोढ़ मृदा होता है, जिसको बनाने के लिए कई वर्ष लग जाते
है, जिसका विस्तार बाढ़कृत मैदानों से दूर होता है। खादर और बांगर मृदा में कैल्सियमी
संग्रथन पाए जाते है, अर्थात कंकड़ पत्थर पाए जाते हैं।
जलोढ़
मृदा के गठन में बलुई दुमट से चिकनी मिट्टी की प्रकृति मुख्य योगदान होता है। सामान्यता
जलोढ़ मृदा में पोटाश पोषक तत्व की अधिकता होती है, और फास्फोरस और नाइट्रोजन पोषक
तत्व की कमी पाई जाती है।
भारत
में जलोढ़ मिट्टी | alluvial soil in india
जलोढ़
मृदा भारत के उत्तरी मैदान और नदी घाटियों के विस्तृत भाग में पाई जाती है, जलोढ़ मृदा
देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40% भाग में विस्तारित है। इस जलोढ़ मृदा का विस्तार राजस्थान
के एक संकीर्ण गलियारे से होती हुई गुजरात के मैदान में फैलती हुई मिलती है। भारतीय
प्रायद्वीपीय प्रदेशों में ये पूर्वी तट की नदी के डेल्टा और नदियों की घाटी में विस्तारित
है। भारत में मध्य गंगा क्षेत्र के मैदानों और ब्रम्हपुत्र की घाटियों एवं उसके मैदानों
में यह मृदा अधिक दुमट और मृण्मय होती है। भारत के स्थित में जलोढ़ मृदा पश्चिम से
पूर्व की ओर की बालू की मात्रा घटती जाती है।
जलोढ़
मृदा के रंग की प्रकृति हल्के धूसर से राख धूसर जैसा दिखाई देता है, जलोढ़ मृदा के रंग
की प्रकृति निक्षेपण की गहराई, जलोढ़ मृदा की गठन और निर्माण में लगने वाले कालक्रम
और समय अवधि पर निर्भर करता है। जलोढ़ मृदा
का संघटन भुरभुरा अथवा ढीला होता है, इस मिट्टी के कणों को आपस में कठोर संगठित करना
मुश्किल होता है। अर्थात यह मिट्टी कठोर शैल का निर्माण नहीं करता है।
यह मृदा कृषि के बहुत महत्वपूर्ण मृदा होती है, अपनी अधिक उपजाऊ प्रकृति के कारण जलोढ़ मृदा गहन कृषि के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यह मिट्टी विभिन्न तरह के फसलों के लिए बहुत उपयोगी होती है।
इन्हें भी पढ़े -
जैव विविधता के नुकसान के 15 प्रमुख कारण
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- अर्थ, लाभ, नुकसान, उपयोग
वनों की कटाई को नियंत्रित करने के 10 तरीके
रेडियोधर्मी प्रदूषण को नियंत्रित करने के 10 तरीके
रेडियोधर्मी प्रदूषण - अर्थ, स्रोत एवं प्रभाव
मृदा प्रदूषण - अर्थ, कारण, प्रभाव, निवारण एवं रोकथाम
वायु प्रदूषण - अर्थ, कारण, प्रभाव, रोकथाम एवं निवारण
प्रकाश प्रदूषण - अर्थ, कारण, प्रभाव एवं उपाय
ATP क्या है - ATP का निर्माण, ATP full form , सूत्र, प्रमुख कार्य
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले 10 कारक
ज्वालामुखी उद्गार से कौन-कौन सी गैस निकलती है
काली मिट्टी - काली मिट्टी का निर्माण, रंग , pH मान, विशेषता
संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य क्या है
महिलाओं के लिए संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां
0 टिप्पणियाँ
Please do not enter in spam link in the comment box...