समानता के अधिकार की सूची | right to equality in indian constitution
समता के अधिकार |
समानता
का अधिकार | right to equality in hindi
भारतीय
संविधान भारत राज्य के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार मौलिक अधिकार के रूप में उल्लेखित
करता है, इस मौलिक अधिकार के अनुसार सभी भारत राज्य के नागरिक विधि के समक्ष समानता
होंगे। किसी भी भारत राज्य के नागरिक को सार्वजनिक रोजगार के लिए अवसर, जाति, नस्ल,
धर्म,जन्म, अस्पृश्यता, लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है ,न ही भारतीय
संविधान के इस मौलिक अधिकार में किसी नागरिक को कोई भेदभाव करने का कोई विशेषाधिकार
देता है। भारतीय संविधान का यह बहुत महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है यह अधिकार भारत राज्य
के सभी नागरिकों को भारतीय संविधान प्रदान करता है, भारतीय संविधान के अनुसार मौलिक
अधिकार को भारत के सभी नागरिकों के लिए समानता का अधिकार के अंतर्गत अनुच्छेद 14 से
18 में भारतीय सविधान में उल्लेखित किया है।
जिसने दिए गए मौलिक अधिकार को अनुच्छेद को निम्नलिखित अनुसार दर्शाया गया है।
समानता
का अधिकार का अनुच्छेद | right to equality article
अनुच्छेद
14 - भारतीय संविधान के इस अनुछेद के उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार भारत राज्य के
सभी नागरिक को विधि के समक्ष समता के अधिकार का भारतीय संविधान देता है, इस अनुछेद
के उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए कानून के समक्ष समानता
और कानून का समान संरक्षण प्राप्त करता है।
यह कानून भारत राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए एकसामना कानून बनाने और उस कानून
को एकसमान लागु करने का प्रावधान देता है। इस कानून के अनुसार भारत राज्य का सभी नागरिक
एकसमान है।
अनुच्छेद
15- भारतीय संविधान के इस अनुच्छेद में उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार भारत राज्य के
सभी नागरिक को धर्म, लिंग, नस्ल, जन्म स्थान या जाति के आधार पर भेदभाव को निषेध किया
गया है। क्योंकि भारत राज्य में विभिन्न धर्मों की विविधता, विभिन्न नस्ल की विविधता,
विभिन्न लिंग की विविधता, विभिन्न जातीय की विविधता और जन्म के स्थान पर किसी भारतीय
नागरिक से भेदभाव होता है। तो भारतीय संविधान का यह अनुच्छेद उन भेदभाव को पूर्ण रूप
से निषेद्य करने के संबंध में अधिकार देता है।
अनुच्छेद
16 - भारतीय संविधान के इस अनुछेद के उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार भारत राज्य के
सभी नागरिक को सार्वजनिक रोजगार के लिए अवसर की समानता का प्रावधान उल्लेखित किया गया
है। भारतीय संविधान का यह अनुच्छेद भारत राज्य के सभी नागरिक को राज्य के अधीन किसी
पद पर नियोजन या नियुक्ति के संबंध में समानता का अवसर देता है। लेकिन अपवाद के रूप
में आरक्षण का अधिकार शिक्षा और सामाजिक आधारों पर दिया जाता है। ताकि अन्य पिछड़े हुए
अनुसूचित जनजातीय, अनुसूचित जाती, अन्य पिछड़ा वर्ग और ईडब्ल्यूएस कोटा वर्ग को सार्वजनिक
रोजगार के लिए अवसर की समानता का अधिकार प्राप्त
हो सके।
अनुच्छेद
17- भारतीय संविधान के इस अनुछेद के उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार भारत राज्य के सभी
नागरिक को अस्पृश्यता का उन्मूलन और इसके आचरण का निषेध करता है। भारत राज्य के किसी
भी नागरिक को छुआछूत के आधार पर बहिष्कृत नहीं किया जा सकता है। ऊंची जाति और नीच जाती
के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। न ही किसी भी प्रकार से अस्पृश्यता को
दर्शाया जा सकता है। यह प्रावधान सभी प्रकार के अस्पृश्यता को रोका लगता है।
अनुच्छेद 18 - भारतीय संविधान के इस अनुछेद के उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार भारत राज्य के सभी नागरिक को पदवी का उन्मूलन का अधिकार देता है। लेकिन सैन्य, अकादमिक, विधा संबंधी सम्मान जैसे भारत सरकार दिया हुआ सम्मान भारत रतन, पदमविभूषण,पदमभूषण, पदमश्री, परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र इत्यादि पुरुस्कार को दिया जाता है। इस अनुच्छेद के प्रावधानों के अनुसार कोई भी भारत राज्य का नागरिक किसी अन्य राज्य से बिना राष्ट्पति की आज्ञा के कोई भी उपाधि धारणा नहीं कर सकता है।
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